बिलासपुर/छत्तीसगढ़
बिलासपुर। अंतरराष्ट्रीय संस्था बीएनआई (बिजनेस नेटवर्क इंटरनेशनल) की बिलासपुर इकाई द्बारा व्यापार मेला एवं उद्योग मेला शुरू होने से पहले से लूट-खसोट शुरू कर दी गई है। इनकी गुंडागर्दी के शिकार वो गरीब छोटे व्यवसायी हो रहे हैं, जो सालों से मैदान के बाहर रोड किनारे छोटी-मोटी दुकानें लगाकर अपने परिवार का पेट पालते आ रहे हैं।
दरअसल, संस्था के कर्ताधर्ताओं ने इन परिवारों पर व्यवसाय करने के लिए यह शर्त लाद दी है कि यदि यहां व्यवसाय करना है तो 3 से 4 हजार रुपए दो, वरना यहाँ से हटा दिया जाएगा। संस्था के तुगलकी फरमान से छोटे व्यवसायी सहम गए हैं। उनका कहना है कि रोजाना बमुश्किल वे 2 से 4 सौ रुपए की कमाई करते हैं।
ऐसे में महज सात दिन के लिए कैसे 3 से 4 हजार दे पाएंगे। इससे पहले जब यहां स्वदेशी मेला लगा था, तब उन्हें रोज के 50 रुपए में व्यवसायी करने की अनुमति दी गई थी। संस्था के फरमान से ये छोटे व्यवसायी लामबंद भी हो गए हैं और संस्था के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए नारेबाजी शुरू कर दी है।
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय संस्था बीएनआई (बिजनेस नेटवर्क इंटरनेशनल) की बिलासपुर इकाई द्बारा 10 से 16 जनवरी तक साइंस कॉलेज मैदान,बिलासपुर में एक राष्ट्रीय स्तर का व्यापार एवं उद्योग मेला लगाया जा रहा है। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यापारी आएंगे और अपने प्रोडक्ट का नुमाइश करेंगे।
संस्था के अध्यक्ष डॉ. किरण चावला ने बीते दिनों बकायदा प्रेसवार्ता लेकर दावा किया था कि 7 दिनों तक मेले में धूम रहेगी। मनोरंजन से लेकर विशेष चीजों का इंतजाम रहेगा। मेला शुरू होने में महज एक दिन शेष है। मीडिया की टीम ने मंगलवार दोपहर जब मेला स्थल का जायजा लिया तो नजारा ही अलग था। मैदान के अंदर बनाए गए काउंटर में लोगों की भीड़ जमा थी। एक युवक पैसे जमा ले रहा था।पैसे किस बात की, इसकी जानकारी ली गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। वह मेला स्थल के अंदर ठेका लगाने के लिए 8 से 10 हजार की डिमांड कर रहा था, जो मेला स्थल से बाहर ठेला लगाना चाहता है, उसे 3 से 4 हजार रुपए देने कहा जा रहा था।
नहीं दे पाने पर रोड किनारे के ठेले को व्यवस्था के नाम पर फेंकवा देने की धमकी दे रहा था। उसकी धमकी से छोटे व्यवसायियों का गुस्सा फूट पड़ा। सभी एकजुट होकर विरोध करने लगे। इसी बीच संस्था के किराए का कर्मचारी आया और विरोध करने वालों को धमकाने लगा कि यदि पैसे नहीं दोगे तो ठेले को फेंकवा देंगे। शासन-प्रशासन संस्था के सहयोग में हैं।
नहीं देंगे पैसे, चाहे जो कर लो
सालों से रोड किनारे व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों का कहना है कि वे रोज के 100 रुपए देने को तैयार हैं। इससे अधिक नहीं देंगे। जोर-जबरदस्ती की गई तो वे भी डरने वाले नहीं हैं। वे आरपार की लड़ाई के लिए तैयार हैं, क्योंकि उनकी रोजी-रोटी पर बन आई है। अब डर गए तो उनके बच्चों का पेट कौन भरेगा।
कई मेले लगे, लेकिन नहीं की गई ऐसी वसूली
छोटे व्यापारियों का कहना था कि यहां हर साल कई तरह के आयोजन होते रहता है। कई मेले लगते हैं, लेकिन किसी ने कोई वसूली नहीं की है। हाल ही में स्वदेशी मेला लगा था, जिसके कर्ताधर्ताओं ने व्यवस्था बनाने के नाम पर रोज के 50 रुपए देने के लिए कहा, जिसके लिए वे तैयार हो गए।
बड़े-बड़े नेताओं को बनाया गया है संरक्षक
बीएनआई संस्था के कर्ताधर्ताओं ने बहुत बड़ी चालाकी खेल रखी है। इनकी ज्यादती पर शासन-प्रशासन भी कुछ न कर सके, इसके लिए भी इंतजाम कर रखे हैं। दरअसल, इन्होंने उन लोगों का आयोजन का संरक्षक बनाया है, जो राजनीति की सत्ता पर बड़े पदों पर बैठे हुए हैं।