यहाँ हर कार्य का लगभग रेट फिक्स
बिलासपुर में अभी देखा जा सकता है कि कैसे अवैध कॉलोनाइजर पर लगातार कार्यवाही हो रहा है जो सही भी है पर क्या अगर आप टीएनसी कॉलोनी में भी घर या प्लाट लेते है तो आपका कार्य बिलासपुर तहसील में बिना पैसा खिलाया हो सकता है ये सोच के भी उटपटा लगता है न पर भरोषा रखिये अपनी हाईकोर्ट की न्यायपालिका पर,अब इस पर हाईकोर्ट ने सख्त कदम उठाया है।
बिलासपुर तहसील में डायवर्सन सहित अन्य कार्यों में भ्रष्टाचार और पैसे दिए बिना काम नहीं करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। मामले में संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने बिलासपुर कलेक्टर को उपस्थित होकर शपथपत्र के साथ जवाब देने के लिए कहा है कि जमीन व डायवर्सन के कितने केस दर्ज है और कितने लंबित हैं। कोर्ट ने 27 फरवरी की सुनवाई में बिलासपुर एसडीएम को भी उपस्थित होने का आदेश दिया है। बिलासपुर निवासी रोहणी दुबे ने स्थानीय तहसील कार्यालय में जमीन के डायवर्सन प्रकरण के लिए आवेदन किया था। काफी समय बाद भी तहसील में इस मामले की न ती सुनवाई हुई, न ही इसका निराकरण किया गया। इस बीच उन्हें जानकारी मिली कि सिर्फ कुछ पैसों को लेकर यह प्रकरण रोका गया है। इसका विरोध करते हुए उन्होंने अधिकारियों से शिकायत की और प्रकरण रोकने की वजह जाननी चाही। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है, तहसील कार्यालय में एसडीएम की नाक के नीचे जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है।
लगातार शिकायतें, लेकिन अब तक अधिकारी गंभीर नहीं
इसके पहले भी कई मामलों में तहसील कार्यालय के कर्मचारियों पर राजस्थ प्रकरण को लेकर कई आवेदकों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। आम लोग यहां के स्टाफ की कार्यप्रणाली से काफी परेशान हैं। मामला जमीन से जुड़ा होता है इसलिए आवेदक रिस्क लेना नहीं चाहते और लेनदेन को राजी हो जाते है। इसी का फायदा उठाकर तहसील कार्यालय के कर्मचारी और दलाल बिना पैसे के कोई काम नहीं करते। याचिका में बताया गया है कि शिकायतों का भी असर नहीं होता। इसके मद्देनजर यहां की कार्यप्रणाली की जांच और उचित कार्रवाई के लिए आदेश जारी करने की मांग की गई है।
पैसे की मांग करते कर्मचारी का वीडियो वायरल
कुछ माह पहले तहसील में अधिकार अभिलेख शाखा में नकल निकालने के नाम पर पैसे की मांग करते कर्मचारी का वीडियो भी वायरल हुआ था।जिसके बाद खानापूर्ति कर उसे हटा वहाँ दूसरे कर्मचारी को बैठा दिया गया पर सूत्रों से पता चला है कि ये महासाय तो रेट को दुगना कर उनसे भी आगे निकल रहे है।
यहाँ हर कार्य का लगभग रेट फिक्स
आज के समय मे बिलासपुर तहसील के ये हालात है कि आम लोगो को ये पता है कि बिना पैसे के यहाँ कोई भी कार्य नही हो सकता,यहाँ हर कार्य का लगभग रेट फिक्स है।
जैसे डायवर्सन का ही ले लेते है तो शुरुआत में सबसे पहले
अधिकार अभिलेख का 300/- से 400/-,
मिशल 200/-, पटवारी प्रतिवेदन निकालने का कर्मचारी का 200/- उसके बाद पटवारी का 1500/- से 2000/-, तहसील में बैठे आर.आई का 1500/- से 2000/- (जैसा जमीन का साइज अगर जमीन बड़ी है तो पैसा बढ़ जाता है), फिर एसडीएम के नीचे बैठे कर्मचारी एसडीएम से आदेश में साइन कराने में नाम पर प्लाट साइज के हिसाब से 5000/- से 10000/- तक फिर अन्त में कलेक्ट्रेट शाखा में ऊपर बैठे आर.आई साहब लोगो का भी तो हक बनता है फिर वहाँ का चढ़ावा है 1500/- से 2000/- तब जा कर आपका डायवर्सन का कार्य हो पायेगा। वैसे ही हर कार्य जैसे नामांतरण, सीमांकन, फावती का यहाँ रेट फिक्स है। बल्कि शहर के कुछ बिल्डरों की माने तो कुछ तहसीलदार तो मोटी रकम लेने के बाद भी महीनों घुमाते रहते है, और यहाँ की एक खूबी है यहाँ के लगभग तहसीलदार उनके हिसाब से महत्वपूर्ण कार्यों को घर से करते है जो उनके नीचे बैठे उनके बाबू से पता चलता है।