बिलासपुर। जिले में 20 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासी मतदाताओं की है। जिले की एक विधानसभा क्षेत्र में जनजाति समाज को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। सभी राष्ट्रीय पार्टियां समाज की इस मांग पर गंभीरता से विचार करें। कोटा विधानसभा क्षेत्र जनजाती बाहुल्य है, जहां 50 फीसदी जनसंख्या है। 1952 से आज तक जनजाति समाज को यहां से प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। इस चुनाव में सभी राष्ट्रीय पार्टियां जनजाति समाज को प्रतिनिधित्व दें, जिससे समाज को उनके अधिकार व प्रतिनिधितत्व मिल सके।
आदिवासी समाज प्रमुखों ने प्रेस क्लब में पत्रवार्ता कर अपनी मांग की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। सुरेंद्र प्रधान आदिवासी समाज प्रमुख, सियाराम नेताम गोड़ समाज, संतोष टोप्पो उरांव समाज सहित कंवर, हो मुंडा समाज प्रमुखों ने संयुक्त रूप से पत्रवार्ता में विधानसभावार आदिवासी मतदाताओं की संख्या का ब्यौरा रखा। इनका कहना है जिले की कुल 6 विधानसभा क्षेत्रों में एक मस्तूरी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। वहीं, 5 विधानसभा सामान्य सीट है। इनमें से दो या तीन ओबीसी वर्ग को दिया जाता है, या तो 3 सामान्य वर्ग के लोगों को दिया जाता है। सभी राष्ट्रीय पार्टियां इस चुनाव में जिले से आदिवासी समाज को प्रतिनिधित्व दें। कोटा विधानसभा के अंतर्गत 3 जनपद पंचायत है, जिसके ब्लॉक अध्यक्ष पांचवी अनुसूची से है। वहीं, जिला पंचायत सदस्य 5 में से 4 जनजाति वर्ग से हैं, जिसमें से जिला पंचायत उपाध्यक्ष है। अत: कोटा सीट में आदिवासियों को प्रतिनिधित्व दिया जाए। प्रेसवार्ता में पी.एस. पट्टा गोड़ समाज, अभिलाषा पूर्ति हो मुंडा समाज, विक्रम साय कंवर समाज, डी.आर. सिदार, डी.पी. भूपाल, राजीव ध्रुव, डी.पी. ठाकुर आदिवासी समाज मौजूद रहे।