बिलासपुर/छत्तीसगढ़
मोपका मे 1980 के पहले बहुत सरकारी पट्टे बने थे जो पट्टेदारों ने 1980 से 1988 के बीच दीगर लोगो को बिना कलेक्टर अनुमति के विक्रय कर दिया था. वर्ष 1992 मे इस मामले के प्रकाश मे आने के बाद अतिरिक्त कलेक्टर बिलासपुर ने इन सभी पट्टों को निरस्त कर दिया था लेकिन उस समय बहुत सारे रसूखदारों ने अपना ज़मीन बचा लिया था. कुछ सोसायटी ने भी कई एकड़ मे प्लाटिंग किया था जिसे उस समय निरस्त कर दिया गया था.
भू राजस्व संहिता की धारा 115 के तहत जब 13/02/2023 को उत्तम केडिया वाले आदेश में एसडीएम बिलासपुर श्रीकांत वर्मा ने मोपका के खसरा नंबर 992/11 और 992/12 शासकीय पट्टेदार उत्तम केडिया के केस मे जो आदेश किया है उसमे चुंकि 18/04/1983 के रजिस्ट्री स्टाम्प मे पट्टा नहीं लिखा है इसलिए उत्तम केडिया की जमीन को भूमि मे से अहस्तान्तरणीय शब्द को हटाया और बिक्री की अनुमति दी गई।
परंतु जैसे ही बिलासपुर एस.डी.एम श्रीकांत वर्मा को इस बात की जानकारी हुई कि ये पट्टा भूमि है उन्होंने तुरन्त उक्त आदेश जो 13/02/2023 को पारित हुई थी उस आदेश में क्रियान्वयन पर रोक लगाई गई है और ऑडर का एस.डी.एम ने अतिरिक्त कलेक्टर से पुनर्विलोकन का अनुमति लेकर प्रकरण में पुनः सुनवाई की जा रही है
चूंकि इस पूर्व आदेश को लेकर बहुत से लोगो को दिग्भ्रमित किया जा रहा था और बिलासपुर एस.डी.एम श्रीकांत वर्मा के नाम पर मिलीभगत हो कर आदेश जारी करने का अफवाह फैलाया जा रहा था उस पर बिलासपुर एस.डी.एम ने उस आदेश में क्रियान्वयन पर रोक लगा पुनर्विलोकन का अनुमति ले उस प्रकरण में पुनः सुनवाई कर उन लोगो की एस.डी.एम को बदनाम करने की गलत मानसिकता और उनके भी कुछ रुके हुए फर्जी जमीन के कार्य को हो जाने के उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
चूंकि बिलासपुर पदस्थापना के बाद आज तक बिलासपुर एस.डी.एम श्रीकांत वर्मा पर उनकी उत्तम कार्यशैली के कारण उन पर किसी भी प्रकार का दाग नही लगा है। पर अब आगे देखना है कि उन्हें बदनाम करने वाले कुछ शख्स इस आदेश से बौखला कर अब कौन सा नया षडयंत्र रचने की कोशिश करते है।