अगर भगवान जीवन देते हैं, तो डॉक्टर ही हैं जो किसी की जान बचाते हैं। इन वास्तविक जीवन के नायकों की सराहना करने के लिए, डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। यह दिन हर साल 1 जुलाई को मनाया जाता है। डॉक्टर किसी भी स्थिति में अपनी सेवाओं के साथ किसी भी समय उपलब्ध रहने वाले फ्रंटलाइनर हैं। डॉक्टर समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; वे अपने रोगियों के स्वास्थ्य के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं। वे चिकित्सा विज्ञान में अत्यधिक जानकार होते हैं और अपना समय रोगियों के इलाज के लिए समर्पित करते हैं।
डॉक्टर डे क्यों मनाया जाता है
डॉ. बीसी रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था और उनका निधन भी 1 जुलाई 1962 को 80 साल की उम्र में हुआ था। वह मुश्किल समय में कई राहत कार्यों का हिस्सा बने थे। ऐसे में उनके तमाम योगदान को सम्मान देने के लिए हर साल 1 जुलाई का दिन डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है।
डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है . कोरोना काल में जिस तरह से डॉक्टरों ने लोगों की जान बचाने के लिए खुद की जान खतरे में डाल दी थी, उसे कोई नहीं भूल सकता। कोरोनाकाल में कई ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिन्होंने ये साबित कर दिया था कि कैसे डॉक्टरों ने दिन-रात लोगों की जान बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
” जहाँ भी चिकित्सा की कला को प्यार किया जाता है, वहाँ मानवता के प्रति भी प्यार होता है। ” “केवल दूसरों के लिए जीया गया जीवन ही जीवन है।”
अगर आपको भी न्यूरो सम्बंधित समस्याओं ने परेशान कर रखा है तो इससे निजात पाने के लिए किसी अच्छे डॉक्टर का चयन करें क्योंकि अगर आप इसके शुरुआती लक्षणों को ध्यान में रख के इसका उपचार कराएंगे तो आपको आपकी परेशानी का हल जल्दी मिल जाएगा। इसलिए इसके लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें और किसी भी तरह की दवाई को लेने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह ले।
हमारे शहर में सरकण्डा बहतराई रोड स्थित “प्रथम हॉस्पिटल” के डायरेक्टर “डॉ. रजनीश पाण्डेय” ने बहुत सारे न्यूरो संबंधित मरीजों का सफल इलाज किया है। उनके मरीजो का कहना है कि उनके इलाज करने का तरीका एकदम पारिवारिक माहौल में रहता है।
डॉ. रजनीश पाण्डेय शहर के जानेमाने प्रसिद्ध डॉक्टरों में से एक है, वे चिकित्सा क्षेत्र के साथ साथ जानेमाने समाजसेवी भी है। समय समय पर वे देश व समाजहित में अनेकों कार्य करते रहते है।
न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं:
1. सिरदर्द
2. चक्कर आना
3. संतुलन या समन्वय की हानि
4. हाथ या पैर में सुन्नपन या झुनझुनी
5. मांसपेशियों में कमजोरी
6. नज़रों की समस्या
7. बोलने या निगलने में कठिनाई
क्या है न्यूरो सम्बंधित बीमारियां ?
न्यूरोलॉजी संबंधी बीमारियों में आमतौर पर बोलने में अंतर का आना, शारीरिक असंतुलन, शरीर में अकड़न, कमजोरी, याददाश्त में कमी, उठने, बैठने चलने में परेशानी, शरीर में कंपन, मांसपेशियों का कठोर होना निगलने में कठिनाई आदि लक्षण पाए जाते हैं। न्यूरो संबंधी अधिकांश बीमारियों का इलाज प्रारंभिक अवस्था में पाना संभव होता है।
...........................
इस अस्पताल में है कन्या जन्म पे निशुल्क इलाज…
एस बी आर कॉलेज के बाजू जरहाभाठा के पास “एस. के.बी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल” है, जिसकी जितनी तारीफ की जाए वो कम है। यह हॉस्पिटल शायद प्रदेश में पहला ऐसा हॉस्पिटल है जहाँ कन्या के जन्म पे हॉस्पिटल का शुल्क शून्य रहता है।
डॉ. पवन शिशोदिया
हॉस्पिटल के डायेरक्टर डॉ. पवन शिशोदिया (एम.डी) अपने यहाँ दो अनोखा और सराहनीय स्किम चलाते है
एक का नाम “विनोद लक्ष्मी प्रसव योजना” और दूसरा “विनोद लक्ष्मी अग्नि रक्षित योजना” इन योजनाओं में बेटियों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
“विनोद लक्ष्मी प्रसव योजना” के तहत इस अस्पताल में होने वाली किसी भी कन्या जन्म पर अस्पताल का सारा शुल्क “शून्य” कर दिया जाता है जैसे डॉक्टर, अस्पताल, ऑपरेशन, दवा, एनेस्थीसिया का खर्च “शून्य” कर दिया जाता है। अभी तक इस अस्पताल में 100 से अधिक कन्याओं का जन्म हो चुका है।
“विनोद लक्ष्मी अग्नि रक्षित योजना” के अंतर्गत 15 साल से कम उम्र की बेटियां जिनके माता पिता या अभिवभावक के पास बी.पी.एल कार्ड है और वो किसी भी दुर्घटनावश जल जाती है तो उनका भी पूर्णतः निशुल्क इलाज किया जाता है।
जहाँ दूसरे अस्पतालों में डिलीवरी पर हजारों .रुपए लिए जाते है वही इस अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. पवन शिशोदिया इसे सेवा भाव के रूप में करते है।
..............................
“श्री मंगला हॉस्पिटल”
नेहरू नगर, मंगला चौक स्तिथ 60 बिस्तरों वाला “श्री मंगला हॉस्पिटल” एक सर्वसुविधायुक्त हॉस्पिटल है जहाँ प्रशिद्ध डॉक्टरों की एक पूरी टीम है, यहाँ लगभग हर प्रकार के इलाजों का उपचार उस विभाग से जुड़े प्रशिद्ध डॉक्टरों द्वारा किया जाता है। हॉस्पिटल के डायरेक्टर का मानना है कि कम से कम दरों पर इलाज करवाया जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के मरीजो को अच्छे से अच्छा इलाज मुहैया कराया जा सके। देखा जाए तो इसको एक प्रकार का सेवाभाव भी कहा जा सकता है। जो हमारे शहर के लिए गौरव की बात है।