मंगला में दो दो पटवारी…क्यों ? क्या इस ओर नही है अधिकारियों ध्यान ?

Gajendra Singh
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पटवारी के पदस्थापना एक हल्के के लिए होता है जहाँ ग्रामीण क्षेत्र में तो पटवारी को एक कोटवार भी मिलता है।
वही शहरी क्षेत्र में पटवारी अकेला होता है। परंतु आज के समय मे लगभग हर पटवारी एक या दो- तीन अस्सिटेंट रख कर काम कर रहे है। खाश कर बिलासपुर में जहाँ का राजस्व विभाग पहले से ही पूरे प्रदेश भर में फेमस है।

अभी कुछ महीने पहले ही डायवर्सन के नाम पे 50 हजार के माँग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसके बाद बिलासपुर कलेक्टर ने कुछ लोगो को सस्पेंड भी किया था। कई लोगो का एसीबी में जांच चल रहा है।

ऐसे अनगिनत कारनामे है बिलासपुर तहसील एवं राजस्व विभाग के जिसके बारे में लिख पाना संभव नही है।

खैर हम आज आपको बता रहे है मंगला में पदस्त पटवारी विजय कोसले के बारे में ये साहब को इतना बड़ा हल्का मिल गया है कि इनसे अकेले काम संभाला नही जा रहा है। इन्होंने ने अपने कार्यालय में एक नही बल्कि तीन तीन प्राइवेट असिस्टेंट रख रखा है। उसपे भी सोने पे सुहागा ये की एक असिस्टेंट तो पूर्व में पटवारी रहा है।

पूर्व पटवारी के बारे में थोड़ा जानते है

फलित राम बाँधेकर ये पूर्व में पटवारी रह चुका है,
सूत्रों से मिले जानकारी के अनुसार ये वर्ष शायद वर्ष 2016 में लोखंडी में पटवारी के पद पर पदस्त था इस समय एसीबी की टीम ने इसे घुस लेते रंगे हाथों पकड़ा था , पता चला था कि रंगेहाथों पकड़े जाने के बाद घुस की रकम को ये पटवारी साहब खा गए थे। जिस कारण साक्ष्य मिटाने का भी इन वे आरोप लगा था। उज़के बाद इनको बर्खास्त कर दिया गया था।

जिस पटवारी को घुस लेने के कारण सरकार ने बर्खास्त कर दिया उसको मंगला पटवारी विजय कोसले ने अपने पास रख लिया है,भला क्यों ?

मंगला पटवारी को तीन तीन असिस्टेंट (नाम : फलित राम बाँधेकर, सुरेन्द्र, पवन) की जरूरत क्यों पड़ती हैल राजस विभाग का सारा पेपर या दस्ता किसी प्राइवेट व्यक्ति के हाथ मे देना उचित है
क्या इससे सरकारी दस्तावेजों के साथ छेड़खानी होने की उम्मीद नही है ?

तस्वीर में साफ साफ दिख रहा है कि कैसे एक बर्खास्त पटवारी अभी के पदस्त पटवारी के बाजू में बैठ कर नक्शे के साथ कार्य मे लिप्त है और बाजू में बैठे आरआई मोतीलाल कुर्रे साहब भी है और इनको भी इससे कोई ऐतराज नही है।
इससे क्या इनके भी कार्यशैली पर भी प्रश्रचिन्ह नही उठता है?

लोगो के अनुसार ( हालांकि इसका साक्ष्य नही है ) ये अस्सिटेंट ही है जो लोगो से पैसे की डील करते है।

पटवारी विजय कोसले से बातचीत

इस बारे में मंगला पटवारी से पूछने पर की आप ने तीन तीन असिस्टेंट (नाम : फलित राम बाँधेकर, सुरेन्द्र, पवन) क्यों रखा है वो घबरा गए पहले तो उन्होंने मना कर दिया फिर फ़ोटो दिखाने पे स्वीकार्य किया।

पटवारी विजय कोसले से बातचीत का ब्यौरा:

सवाल – आपने तीन तीन अस्सिटेंट (नाम : फलित राम बाँधेकर, सुरेन्द्र, पवन) रखा है।
पटवारी – घबरा कर पहले तो इस बात से मुकर गए।

सवाल – हमारे पास प्रूफ ( फ़ोटो) है।
पटवारी . स्वीकार्य करते हुए हाँ में इशारा किया।

सवाल – इसमे एक तो बर्खास्त पटवारी है?
पटवारी – स्वीकार्य किया कि वो एक बर्खाश्त पटवारी है।(मतलब सोची समझी प्लानिंग है)

सवाल – आपकी तनख्वाह खुद 40 से 45 हजार होगी तो फिर इनको तनख्वाह कहाँ से देते है? इनको भी तो कम से कम 10 से 15 हजार देते होंगे?
पटवारी – तो महोदय का कहना था कि सब निस्वार्थ भाव मे काम करते है। ( मतलब सरकारी दस्तावेजों का कोई मोल नही है इनके नजरो में )

सवाल – क्या असिस्टेंट रखने का परमिशन है आपको ?
पटवारी – ने हसंते हुए कहाँ परमिशन रहता है बोल के मना किया।

ऊपर पटवारी से हुए बातचीत का साक्ष्य (वीडियो) हमारे पास प्रूफ के रूप में है।

अब सवाल ये उठता है कि जिनकी खुद की तनख्वाह 40-45 के बीच है वो 10-15 हजार तक के तीन तीन अस्सिटेंट कैसे पाल रहा है वो भी प्राइवेट के ऑफिस लेकर खर्च और किराया तो ऑफिस(घर) का भी लगता होगा। फिर इतने खर्च कहाँ से आता होगा
क्या ये कुछ गलत की ओर इसारा नही करता?
क्या ये भ्रष्टाचार होने का संकेत नही दे रहा है?
इसपे इनके उच्च अधिकारियों का ध्यान क्यों नही जाता ?
या सबकुछ पता होते हुए भी ये मौन है?

इन्ही सब के कारणों से बिलासपुर का राजस्व विभाग पूरे प्रदेश में बदनाम होने लगा है।

आगे के खबर में इन पटवारी साहब के बारे में और भी बताएंगे कि कैसे ये कही के खसरे को दूसरे जगह बैठा दिए है। और इनके ही क्षेत्र में कितने अवैध प्लाटिंग हो रहा है।

खैर अब देखते है की इनके उच्च अधिकारी इन पर क्या कार्यवाही करते है। होता भी है या नही ये सोचने का विषय है?

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