विवादित जमीन का निपटारा करते ही भू माफिया के पक्ष में पत्रकारों की बाढ़ आ गई
विदित हो कि बहतराई के खसरा नंबर 310/2 जो कि त्रुटि पूर्वक नामांतरण हो गया था जिसमें क्रेता सरोज पिता छेदीलाल द्वारा व भू माफिया द्वारा गलत चौहद्दी बनाकर आपसी सामंजस्य से बनाकर रजिस्ट्री की गई थी क्योंकि भूमि का अधिग्रहण 1982 में पीडब्ल्यूडी द्वारा किया गया था लेकिन वर्तमान खसरा b1 में कहीं भी सड़क दर्ज नहीं था जिसका फायदा उन्होंने उठाया राजस्व विभाग द्वारा किए गए नामांतरण की त्रुटि को सुधारते हुए नामांतरण परिमार्जित करते हुए वापस क्रेता के नाम भूमि दर्ज कर दी गई जो भू माफिया के संरक्षण प्राप्त लोगों को ना-गवार गुजरा हमारी खबर के प्रसारित होते ही उनकी बौखलाहट सामने आ गई जिसमें उन्होंने विभिन्न आरोप लगाए हैं जिसकी जानकारी बिंदुवार इस प्रकार है तथाकथित लोगों के अनुसार सड़क की जमीन को समतल कर दिया गया जोकि पूर्णतः निराधार है मौके पर देखा जा सकता है कहीं भी भूमि समतल नहीं की गई है लोगों ने पता नहीं कौन सी गाइड लाइन रखी है जिसके अनुसार शासन को दो करोड़ पैतीस लाख का नुकसान दिखाया गया है जबकि रजिस्ट्री के समय स्टांप ड्यूटी चुका कर ही रजिस्ट्री होती है ऐसी कौन सी विशेष गाइडलाइन है इस शासन को भी नहीं मालूम और शासन को नुकसान हो गया और पता तक नहीं इसके अलावा आरोप लगाए गए हैं कि खसरा नंबर 310 के तीन टुकड़े कर दिए गए जबकि खसरा नंबर 310 के तीन टुकड़े 10 वर्ष पूर्व भी हो चुके हैं और अधिग्रहित भूमि केवल 310/2 ही था इस मामले की फर्जी शिकायत कलकेटर को एक सिरगिट्टी के व्यक्ति द्वारा की गई है जो कि साफ दर्शाता है की झूठे तथा फर्जी आवेदक शिकायतकर्ता बनाए जा रहे हैं इसके अलावा कई महोदय द्वारा राजस्व मंत्री द्वारा पटवारी अनिल डोडवानी को कभी किसी मीटिंग में सस्पेंड करने नही कहा यह सब अफवाह इन महानुभावो द्वारा फैलाया जा रहा है इसके अलावा महानुभावो द्वारा खरीददार को बेचारा बताया जा रहा है पटवारी अनिल डोडवानी द्वारा स्वयं उक्त मामले की शिकायत पाए जाने पर तत्काल उस नामन्तरन को खारिज करने आवेदन प्रस्तुत किया और राजस्व विभाग द्वारा उक्त नामांतरण खारिज कर दिया गया यदि पटवारी और अधिकारी गलत होते तो अपने ही आदेश को खारिज क्यो करते ? ।।