“पुलिस वर्दी” “मतलब ताकत का घमंड” बात को चरितार्थ करता सरकण्डा पुलिस….केस में फसाने की दी धमकी

Gajendra Singh
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संघ आज जाएगा कलेक्टर के पास

कल एक वाक्या हुआ जिसमें बस्तर जिले के करपावंड तहसील मे पदस्त नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा के साथ घटित हुआ।

हुआ यूं कि बस्तर में पदस्त नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा 17/11/24 रात्रि लगभग 1.35 में हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन से बिलासपुर पहुंचे। जहाँ उन्हें लेने उनके पिता एवं भाई आये थे, पुष्पराज मिश्रा का घर अशोक नगर सरकण्डा में है तो रास्ते मे DLS कॉलेज के पास हनुमान मंदिर है वहाँ ड्यूटी में तैनात सरकण्डा पुलिस के दो जवान खड़े थे, रात्रि होने के कारण ड्यूटी में तैनात जवानों आते हुए पुष्पराज के गाड़ी को रुकने को कहा अंधेरा होने के कारण गाड़ी थोड़ी दूरी पे रोका और सुर थाने स्टाफ के पास गए। फिर नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा के शिकायत अनुसार दोनो पुलिस वाले उनसे अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए गाड़ी दूरी में रोकने के नाम से गाली देने लगी इसका विरोध करने पे 112 बुलाकर पिता भाई को छोड़ कर नायब तहसीलदार को थाने ले गए , उनके बताए अनुसार इस बीच 112 गाड़ी में भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया और नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा के अनुसार पहले के दो जवान और 112 में आये तीनों जवान सभी शराब के नशे में होना प्रतीत हो रहा था।

थाने ले जाने के बाद भी पद बताने के नाम पर उनसे दुर्व्यवहार किया गया और तो और नायब तहसीलदार द्वारा बाद में आये थाना प्रभारी तोप सिंह नौरंग पर भी ये आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने ने भी अपने स्टाफ का सपोर्ट करते हुए इनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और देख लेने की धमकी भी दी गई। मुलायजा के लिए सिम्स भी ले जाया गया पर बिना मुलायजा के वापस आ गए।
ऐसा बताया जा रहा है कि नायब तहसीलदार के भाई ने बिलासपुर कलेक्टर से सरकण्डा थानेदार की बात करवाया गया पर फ़ोन रखने के बाद ने कलेक्टर की बातों को मानने से ये कहते हुए मना कर दिया कि उनका अधिकार एस पी है और वो सिर्फ उन्हीं की बात सुनेंगे।
खैर सुबह करीब 4.21 बजे उन्हें छोड़ दिया गया।
इसके बाद नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा ने बिलासपुर कलेक्टर से इसकी लिखित शिकायत की है और भविष्य में किसी जूठे केश में फसाने की डर की आशंका जाहिर की है।

ऊपर के बातों से ये प्रतीत होता है कि क्या यही पुलिसिंग है? क्या यही उनकी कार्यशैली है?
क्या ये वाक्य पुलिस की न दोस्ती अच्छी और न ही दुश्मनी इस बात को चरितार्थ करता नही दिखता।
एक शासकीय कर्मचारी के साथ अगर ये व्यवहार होता है तो फिर आम जनता के साथ क्या व्यवहार होता होगा ये तो सोच के ही डर लगता है।
पुलिस की वर्दी क्या लगी ये तो मनमानी पे उतर आए।
ऐसे कुछ पुलिसकर्मियों की वजह से बाकी के भी लोग बदनाम होते है।

यही कारण है कि एक सभ्य फैमली के लोग थाने जाने से कतराते है और थाने के बाहर या अंदर आपको हमेशा कुछ ऐसे लोग दिखेंगे जो मध्यदस्ता का कार्य करते है और इनकी थाने में चलती भी है।

क्या ये सरकण्डा थाने के द्वारा की हरकत विभाग को बदनाम नही करता?

खैर अब ये देखना है कलेक्टर महोदय से की गई शिकायत पर क्या कार्यवाही होता है और नायब तहसीलदार द्वारा लगाए इस आरोप पर बिलासपुर एसपी क्या एक्शन लेते है?

क्या राजस्व विभाग को न्याय मिलेगा या पुलिस विभाग की मनमानी यूं ही चलेगी?

  • हालांकि दोनों एक दूसरे के ऊपर दोषारोपण कर रहे है अब देखते है किनकी बातों में कितनी सच्चाई है।

 

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