बिलासपुर/छत्तीसगढ़
“रेगुलर वाले है तो 20रु, अच्छा कभी कभी वाले है तो 50रु, अरे ये तो गाँव वाला या किसान लगता है फिर तो 100रु” बनता है।
इस मानसिकता के साथ कार्य कर रहे है बिलासपुर राजस्व नकल शाखा के प्रभारी राजेश केशरवानी और ये शाखा है भी कहाँ कलेक्टर आफिस के पीछे। उस ऑफिस के पीछे जहाँ के कलेक्टर इन गड़बड़ियों को सुधारने के चक्कर मे दिनरात एक किये पड़े है। परंतु ये कुछ अपवाद जैसे कर्मचारी मानने को तैयार ही नही है इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाना है।
पहले भी इन जैसे कर्मचारियों के चक्कर मे ये विभाग पे कई सवाल उठ चुका है।
आपको बता दे आज की घटना के बारे में
नकल शाखा में नकल की रशीद कटवाने का समय दोपहर 1.30 तक का रहता है उसके पश्चात दोपहर 2.30 बजे से नकल देने का समय या यूं कह लीजिए केशरवानी साहब के कमाने का समय रहता है।
खैर हुआ यूं कि किसी कार्य के चक्कर मे आज वहाँ रुकना पड़ा तो देखा कि लोग बारी बारी केशरवानी जी से पेपर ले रहे थे और चेहरे के अनुसार उनको पैसा दे रहे थे जैसे कि ऊपर बताया गया है।
एक व्यक्ति लगता है कई दिनों से चक्कर लगा रहा था और उसका पेपर फिर भी नही दिया गया तो वो बोला कि सिर्फ जो पैसा दे रहा है उसका काम करो आप लोग। वही एक वरिष्ठ अधिवक्ता भी दिखे जो बहुत देर से खड़े खड़े अपना रशीद वापस ले कर ये बोलते हुए लौट गए कि अब ऊपर शिकायत करना पड़ेगा इनका।
परंतु आपको क्या लगता है शिकायत करने पे कोई कार्यवाही होता होगा?
वही एक केस में देखा गया कि एक किसान जिसके पास नगद राशि नही था तो ये महाशे वही खड़े एक वकील साहब को बोले कि अपने बार कोड में इनसे 100 रु ले लीजिए और मुझे कैश दे देना और वो किसान बार कोड में पैसा देने पश्चात अपना दस्तावेज ले पाया। क्या इन सब पे लगाम लग पायेगा?
चलिए वो तो देखते है फिलहाल अब आज के घटना पे गौर करते है, ये सब देखते हुए इच्छा हुआ कि अब इस भ्रष्टाचार पे कुछ लिखना चाहिए तो फिर क्या था तुरंत मोबाइल निकाल धीरे से इसका एक वीडियो बना लिया गया। ये सिलसिला राजेश केशरवानी जी का आगे भी जारी रहा और एक घटना हमारे कैमरे में कैद हो गया।
उन्होंने एक महोदय से उनके दस्तावेज देने के एवज में 100 रु (दो पचास पचास के नोट) लिए और कल आने को बोला।
क्या यही कार्यप्रणाली है इनका? ऐसे लोगो को यहाँ क्यों बैठाया जाता है जो एक आम आदमी या किसान से पैसा ले के उनका काम करते है। वो भी खुल्लेआम
इनका जिगर तो देखिए ये जहाँ बैठते है उस कमरे में दो दो कैमरा लगा है उसके बाद भी ये खुल्लेआम पैसा ले रहे थे क्या ये कैमरा सिर्फ दिखावे के लिए है या इसका कोई जाँच भी होता है?
इनका क्या है हो सकता है ये इस वीडियो को देख अपने उच्च अधिकारियों को ये बोल दे कि ये पैसा टिकट के एवज में लिया गया था परंतु अगर ये टिकट के एवज में लिया गया था तो क्या इसका कोई राशिद मुहैया नही कराया जाता उसके एवज में ? ये भी एक सवाल उठता है। अगर यहाँ लगे दोनो कैमरा चालू हालात में है तो इसका फुटेज निकाल देखा जा सकता है कि कैसे हर दस्तावेज/नकल के बदले चेहरा देख हर व्यक्ति से पैसा लिया जा रहा है। और अगर कैमरा चालू हालात में नही है तो उसका जवाबदेही कौन है फिर इसे सिर्फ दिखावे के लिए क्यों लगाया गया है?
अब इस घटना पर उच्च अधिकारियों द्वारा क्या कार्यवाही किया जाता है ये देखने का विषय है।
ऐसे कर्मचारियों के होने से नकल शाखा में बैठे इनके नीचे के कर्मचारी भी बदनाम होते है जो अपने कार्य को निष्ठा के साथ करते है। वो कहते है न कि “एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देता है”
ऐसे लोगो का इस महत्वपूर्ण जगह पे होना आम जनता के लिए परेशानी का घर है।