जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा कार्रवाई, पर निगम के कार्यवाही में भेदभाव क्यों?
बिलासपुर- सुरक्षा,फायर सेफ्टी और भवन अनुज्ञा के नियमों के विपरीत संचालित 4 कोचिंग सेंटर और लाइब्रेरी को कल नगर निगम ने सील कर दिया। मापदंडों के पालन नहीं करने वाले कोचिंग सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई करने एसडीएम पीयूष तिवारी और अपर आयुक्त खजांची कुम्हार के नेतृत्व में निगम और जिला प्रशासन की टीम शाम को शहर में निकली। जिसके बाद विनायक कोचिंग सेंटर,कांप्टीशन लाइब्रेरी कम्यूनिटी एकेडेमी,सिद्धी लाइब्रेरी, प्रीमियम एकेडेमी को सील कर दिया गया था। इन संस्थानों में ना फायर सेफ्टी के उपकरण थे,ना पार्किंग की कोई व्यवस्था थी और ना ही प्रवेश और निकासी की कोई ठोस और सुरक्षित व्यवस्था थी। इन संस्थानों को नोटिस जारी कर व्यवस्था को सुदृढ़ करने कहा गया था पर संस्थानों द्वारा कोई पहल नहीं की गई,जिसके बाद प्रशासन ने सीलबंदी करने की कार्रवाई की।
यहाँ तक तो समझ आता है कि अगर कोई कोचिंग सेंटर अपने मानक व्यवस्था पर नही है तो कार्यवाही होनी ही चाहिए परन्तु सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए तो सभी कोचिंग सेंटर और लाइब्रेरी को एक पैमाने में लेना चाहिए फिर वही पे जहाँ कार्यवाही हुई वहाँ के स्थानीय लोगों से पूछताछ में पता चला कि उसके एकदम बाजू में सहस्त्र एकेडमी, पटेल ट्यूटोरियल,और थोड़ा आगे में आर जे लाइब्रेरी जैसे कोचिंग सेंटरों की भरमार लगी है फिर भी इन पे कार्यवाही क्यों नही?
ऐसी क्या मजबूरी थी कि इन पे कार्यवाही नही की गई। क्या ये सब कोचिंग और लाइब्रेरी सभी मानकों पे खरे थे और अगर थे तो बहुत अच्छी बात है पर अगर नही थे तो फिर इनपे कार्यवाही क्यों नही?
क्या ये भेदभाव को नही दर्शाता और दर्शाता है तो ये भेदभाव क्यों?
हालांकि सभी कोचिंग सेंटरों को पहले ही समझाइस दे दी गई थी की कमियों को पूरा कर ली जाए पर उसके बाद भी सभी मानकों को पूरा न करना गलत है जिसके लिए ये कार्यवाही उचित भी है। पर सवाल तो ये है कि क्या बाकी के सभी कोचिंग और लाइब्रेरी अपने सभी मानकों को पूरा कर लिए थे?
खैर देखते है ये कार्यवाही का शिलशिला कब तक चलता है।