राज्य भर के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की वीसी के ज़रिए हुई अहम बैठक, दो टूक फ़ैसला – किसी बेगारी को अब कोई सहयोग नहीं, जाँच में मोटरसाइकिल या सायकल से जाएँगे

Gajendra Singh
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बैठक के फ़ैसलों पर अमल कर दिया तो अघोषित प्रशासनिक ‘व्यवस्था’ पर करारा झटका लगेगा।

छत्तीसगढ़ में दोपहर को राज्य भर के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बैठक की है। यह बैठक छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ में आयोजित की थी। बैठक क़रीब सवा घंटे चली है। इस बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। यदि ये निर्णय क्रियान्वयन के स्तर पर आए तो कई अघोषित “व्यवस्था” पर ब्रेक लग जाएगा। इस बैठक को लेकर खबरें हैं कि, निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए हैं और आगामी 8 जुलाई को बैठक में हुए निर्णय उचित माध्यम से सरकार तक पहुँचा दिये जाएँगे।

बैठक में हुआ फ़ैसला

राज्य कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ की इस बैठक में सर्वसम्मति से जो निर्णय हुए हैं उनमें से कुछ निर्णय निम्नलिखित हैं –

1- प्रोटोकॉल के तहत अतिथि के भोजन इत्यादि की व्यवस्था में तब ही सहभागिता होगी जबकि आदेश में यह स्पष्ट उल्लेखित हो कि, इसका व्यय किस मद से किया जाएगा।

2- जाँच और दौरे में जाने के लिए वाहन और ईंधन की व्यवस्था नहीं हो पाती है। अब से मोटरसाइकिल से यह कार्य निष्पादित होंगे और टीए बिल से भुगतान माँगा जाएगा। यदि यह भुगतान खर्चे के मुक़ाबले कम हुआ तो सायकल से जाएँगे।

3- किसी भी प्रकार की अघोषित “व्यवस्था’ की अपेक्षा को सहयोग नहीं किया जाएगा। यहाँ “व्यवस्था” से आशय “बेगारी” से है।

4- बहुत से काम ऐसे हैं जिसके लिए इंटरनेट और कम्प्यूटर/लैपटॉप की जरुरत है। अब तक यह व्यवस्था निजी तौर पर कर के कार्य संपादित हो रहे थे,लेकिन अब ये काम निजी तौर पर नहीं होंगे। इंटरनेट कनेक्टिविटी उसकी बिलिंग तथा लैपटॉप या डेस्कटॉप की उपलब्धता सरकार को देनी होगी।

क्यों हुई बैठक

छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ की यह बैठक धमतरी में एसीबी की कार्यवाही के ठीक अगले दिन हुई है। विगत 5 जुलाई को धमतरी में एसीबी ने नायब तहसीलदार खीर सागर बघेल को कथित रुप से रिश्वत लेते गिरफ़्तार किया है। सूत्रों के अनुसार बैठक में इस कार्यवाही को लेकर चर्चा हुई। संघ से जुड़े कर्मचारियों अधिकारियों की राय में नायब तहसीलदार के पास संबंधित व्यक्ति के दो प्रकरण थे इनमें से एक को पहले ही निरस्त कर दिया गया था, और दूसरे में अपेक्षित कार्यवाही ही संभव नहीं थी, और इसे स्पष्ट रुप से कथित पीड़ित पक्षकार को बता दिया गया था। जो पैसे बतौर रिश्वत में बरामदगी की बात कही जा रही है वह पैसे जबरन टेबल/ड्रायर में रखे गए थे।

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