बिलासपुर/छत्तीसगढ़
पूरे छत्तीसगढ़ में बिलासपुर राजस्व विभाग कितना फेमस है मुझे नही लगता ये बात बताने की जरूरत है बिलासपुर राजस्व के कारनामो की कई बड़ी खबरें पूर्व में अलग अलग समाचार पत्रों में प्रकाशित होता रहा है पर बिलासपुर का राजस्व विभाग सुधरने का नाम नही ले रहा है।
खैर आइये बिलासपुर राजस्व विभाग का एक और कारनामा के बारे में जानते है।
ज्ञात हो कि अभी कुछ दिन पहले 19/07/2023 को हमारे पोर्टल में एक खबर छपी थी कि कोटवारी भूमि का इकरारनामा हो गया है और उस खबर में बताया गया था कि आगे नाम और साक्ष्य के साथ खबर प्रकाशित किया जाएगा तो आइए जानते है विस्तार में
बिलासपुर तहसील में जमीन दलाल और कुछ बड़े बिल्डर इस तरह सक्रिय हैं कि शासकीय एवं कोटवारी भूमि का विधिवत षड्यंत्र पूर्वक विक्रय करने में लगे हैं इसी क्रम में बिलासपुर तहसील के हल्का नंबर 48 बहतराई खसरा नंबर 286 रकबा 94 डिसमिल राजकुमार पमनानी एवँ सन्मुख सिदारा द्वारा इसी महीने 11/07/2023 को रायपुर के बिल्डर आशीष गुप्ता पिता रामनिवास गुप्ता को पूर्व में रही कोटवारी भूमि को विक्रय करने का इकरारनामा किया गया है। वर्तमान में खसरा नंबर 286 भले ही इन भूमि स्वामियों के नाम पर दर्ज हो परंतु पूर्व में किस प्रकार षड्यंत्र पूर्वक एक बड़े राजस्व अधिकारी के माध्यम कोटवारी भूमि अपने नाम करा कर आज विक्रय करने का इकरारनामा कर दी गई है आइए विस्तार से इस षड्यंत्र को समझाते हैं:-
नियमावली:-
1 :- खसरा नंबर 286 जो मिसल अभिलेख में घास भूमि के रूप में दर्ज था जिसे शासन द्वारा 1954 में महंगू पिता दुलारी साकिन बहतराई ग्राम नौकर जो ग्राम कोटवार था को दिया गया।
मिशल:-
अधिकार अभिलेख:-
2:- अभी विस्तार से समझते हैं कि उक्त खसरा नंबर भूमि स्वामी के नाम किस प्रकार दर्ज हुई आवेदकों द्वारा अपनी भूमि खसरा नंबर 15/7 एवं खसरा नम्बर 78 जो कि राजस्व अभिलेखों में इन्हीं भूमि स्वामियों के नाम दर्ज थी तबादला हेतु आवेदन लगाया गया जिसे कलेक्टर कमिश्नर से खारिज उपरांत उक्त प्रकरण राजस्व मंडल के पास गया अब राजस्व मंडल के अधिकारी द्वारा नियमों के विपरीत जाकर उक्त भूमि स्वामियों के खसरा 15/7 एवं 78 के बदले खसरा नंबर 286 जो कोटवारी भूमि थी को इन भूमि स्वामियों के नाम तबादला का आदेश 25 अक्टूबर 2010 को कर दिया गया,आदेश उक्त अधिकारी द्वारा नियमों के विपरीत जाकर जोकि कोटवारी भूमि थी आदेश में 286 नंबर खसरे को शासकीय भूमि बताकर षडयंत्र पूर्वक भूमि स्वामी के नाम चढ़ाने विधि के विपरीत आदेश कर दिया गया।
तबादला आदेश:-
3:- जमीन दलाल इस तरह सक्रिय हैं कि उन्होंने तत्काल भूमि को विक्रय नहीं किया अब क्योंकि बहतराई 2019 से नगर निगम में शामिल हो गया तथा वहां भूमि का मूल्य बहुत बढ़ गया तब जाकर 2023 में इन भूमिस्वामी ने भूमि को विक्रय करने का फैसला कर इसका इकरारनामा कर दिया।
इकरारनामा पेपर:-
चूंकि वर्तमान राजस्व अभिलेखों में उक्त भूमि कहीं भी कोटवारी भूमि दर्ज नही है तथा पटवारी के पास भी ऐसा कोई अभिलेख नहीं है जिसमे की वह कोटवारी भूमि के रूप में दर्ज हो। इसका फायदा उठाकर वर्तमान राजस्व अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर इसे महंगे दाम में विक्रय का इकरारनामा किया गया, जबकि उक्त भूमि कोटवारी भूमि है इसका एकमात्र प्रमाण 1954 का अधिकार अभिलेख में स्पष्ट रूप में देखा जा सकता है, परंतु 2010 के राजस्व मंडल के अधिकारी ने ऐसा खूब खेल खेला कि उन्होंने कोटवारी भूमि को अपने आदेश में शासकीय भूमि दिखाकर तबादला कर दिया।
जबकि 2021 छत्तीसगढ़ शासन राजस्व विभाग के प्रमुख आदेश में यह उल्लेखित है की जितनी भी कोटवारी भूमि विक्रय की गई है शासन के खाते में पुनः दर्ज किया जाना है जबकि जमीन दलालों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर तथा चुपचाप भूमि का विक्रय का इकरारनामा कर दिया गया।
अब देखना ये है कि बहतराई की खसरा नंबर 286 की कोटवारी भूमि जिसका अभी नामांतरण अभी नही हुआ है उसपे बिलासपुर एसडीएम श्रीकान्त वर्मा या इस हल्के की अतिरिक्त तहसीलदार मैडम क्या कार्यवाही करते है ये नामान्तर पर रोक लगा शासन की एक भूमि बचा पाते है या विक्रेता-बिल्डर अपने उची पहुँच के दम पे नामांतरण करवा शासन की एक और भूमि अपने नाम करवा लेने में सफल होते है क्योंकि कल ही बहुत बड़ी संख्या में तहसीलदार और नायब तहसीलदार का ट्रांसफर हुआ है।